*लेखपाल के बिगड़े बोल क्वॉरेंटाइन हुए लोगो से बोले अपने-अपने घरों से मंगवाकर खाओ खाना मौजूदा लेखपाल की मनमानी रवैया सामने आया*

*लेखपाल के बिगड़े बोल क्वॉरेंटाइन हुए लोगो से बोले अपने-अपने घरों से मंगवाकर खाओ खाना मौजूदा लेखपाल की मनमानी रवैया सामने आया*


राजधानी लखनऊ के निगोहा का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसको सुन कर आपके होश उड़ जाएंगे जी हाँ हम आपको बता दें कि जहां एक तरफ सरकार शासन से लेकर प्रशासन तक सख्त हिदायत लगातार दे रही है की कोई गरीब व जरूरतमंद भूखा न रहे। वही तहसील प्रशासन के लेखपालों के खराब रवैया व बदसलूकी अपनाने की वजह उदासीनता के चलते क्वॉरेंटाइन हुए लोगो की सुध लेने के लिए कोई नहीं पहुंचता। मिली जानकारी के मुताबिक तहसील क्षेत्र मोहनलालगंज निगोहा इलाके के मीरखनगर स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बाहर से आए हुए लोगों के लिए क्वॉरेंटाइन स्थल बनाया गया है। जहां इस समय आधा दर्जन से अधिक लोग क्वॉरेंटाइन स्थल में उपस्थित हैं। रुके हुए संदिग्धों के लिए प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं की। सुशील ,रविशंकर ,अभिषेक , सुनील, सरोज, गुड्डू, विजय ने बताया कि हम लोग मजदूरी के लिए बाहर गए थे। लेकिन जब हम लोग अपने गंतव्यो पर वापस आए तभी 29 मार्च से हम लोगों को क्वॉरेंटाइन स्थल पर रखा गया है। यहां 13 दिन बीत गए हैं। लोगों के मुताबिक मौजूदा लेखपाल अमर सिंह इन 13 दिनों में एक दिन आए थे। जो कुछ खाद्य सामग्री बाहर ही दे गए थे। और वहीं से फोटो खिंचवाने के साथ चलता बने स्थल पर दोबारा नहीं आये। लोगों ने बताया कि लेखपाल के द्वारा दिया गया आटा बिल्कुल खराब और घटिया किस्म का था। जिसे खाने पर बालू जैसी खिसखिसाहट आ रही थी। जिस पर हम लोगों ने लेखपाल अमर सिंह के मोबाइल नंबर पर बात किया तो बोले कि अपने-अपने घरों से खाना मंगवा कर खाओ हमने तुम सबका ठेका नहीं ले रखा है। वो उसी दिन से हमारे घरों से परिजन खाना लेकर हम लोगों के लिए आते हैं। जब अपने अपने घरों से ही खाना खाना है। तो सोशल डिस्टेंस का क्या मतलब है। तहसील प्रशासन के कर्मचारियों की उदासीनता के चलते क्वॉरेंटाइन हुए लोगों को उनके स्थलों तक नहीं मिल पा रहा सही भोजन जिससे लोग परेशान हैं। तहसील प्रशासन के कर्मचारियों द्वारा क्वॉरेंटाइन हुए लोगों को न तो मास्क दिया गया और न ही सेनीटाइजर दिया गया और न तो परिजनों को दिया गया बिना मास्क लगाए ही खाना देने पहुंचते हैं परिजन, क्वॉरेंटाइन स्थल पर ऐसे में यह साफ जाहिर होता है की तहसील प्रशासन के लेखपाल कितने लापरवाह हैं। और ताजुब की बात है सिर्फ फ़ोटो बाजी करने के लिए लेखपाल महोदय गए थे। लेखपाल द्वारा बोले गए शब्द बेहद ही शर्मनाक है एक तरफ उपजिलाधिकारी महोदया हर प्रकार से प्रयास में लगातार लगी हुई है कि कही किसी के साथ गलत व्यवहार न हो कोई भूंखा न रहे लेकिन ऐसे कर्मचारियों और लेखपालों की गिरी हुई सोच और हरकतों की वजह से तहसील के जिम्मेदार अधिकारी को झेलना पड़ता है। ऐसे लेखपालों पर अपनी ड्यूटी की परवाह नहीं यह लोगों से दुर्व्यवहार करने से बाज नहीं आते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि तहसील प्रशासन की अधिकारी इन लेखपालों पर कैसे शिकंजा कसने का काम करते हैं और बाहर से आये लोगों तक कैसे खाना पहुंचाने का काम किया जाता है।


*शाने ऐ सिद्धार्थ जय शरण तिवारी*